मगध साम्राज्य का उत्कर्ष : प्राचीन भारत के नोट्स

Hello दोस्तों , मुझे उम्मीद है आपको हमारे प्राचीन भारत के नोट्स बहुत ही पसंद आ रहे होंगे। जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है। इस पोस्ट में हम मगध के उत्कर्ष की जानकारी आपको देंगे 

 

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छठी सदी ई.पू. – गणतंत्र व 16 महाजनपदों नगरीकरण का उदय

मगध का उत्कर्ष

 
छठी सदी ईस्वी पूर्व में राजनीतिक क्षेत्र में तीसरा महत्वपूर्ण परिवर्तन मगध का उत्कर्ष था। प्रारंभ में मगध 16 महाजनपदों में से 1 महाजनपद था, किंतु धीरे-धीरे अपने साम्राज्य का विस्तार करते हुए मगध उत्तर भारत का सबसे महत्वपूर्ण राज्य बन गया। मगध के उत्कर्ष में अनेक कारकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिनमें सर्वाधिक योगदान मगध की भौगोलिक स्थिति का है। मगध के उत्कर्ष  के पीछे उत्तरदाई कारकों को निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत समझा जा सकता है-
 
1) कृषि का विकास –मगध का राज्य गंगा एवं ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा निर्मित विशाल उपजाऊ मैदान में स्थित था। साथ ही संपूर्ण राज्य में सदाबहार नदियों द्वारा सिंचाई की भी उत्तम व्यवस्था थी। इसी कारण मगध  राज्य में कृषि का अत्यधिक विकास हुआ। कृषि के विकास ने मगध राज्य का उत्कर्ष हेतु एक मजबूत आर्थिक आधार निर्मित कर दिया।
 
2) –  शिल्प- उद्योग का विकास –  मगध राज्य की भौगोलिक  स्थिति ने उसके शिल्प- उद्योग के विकास में भी योगदान दिया। मगध राज्य में लोहे एवं अन्य धातुओं व खनिजों का प्रचुर भंडार था। इन धातुओं के प्रयोग ने अनेक नवीन शिल्प उद्योगों के विकास में योगदान दिया। इससे मगध की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई, परिणाम स्वरुप उसकी सैन्य शक्ति में वृद्धि हुई। Magadh ke utkarsh ke karan
 
3)  वाणिज्य -व्यापार का विकास – मगध की भौगोलिक स्थिति ऐसी थी, कि उत्तर भारत के प्रायः सभी व्यापारिक मार्ग यहां से होकर गुजरते थे। मगध को इन व्यापारिक मार्गों से होने वाले आंतरिक -व्यापार पर कर प्राप्त होता था। ताम्रलिपित जैसा महत्वपूर्ण बंदरगाह मगध साम्राज्य में स्थित था इस कारण मगध को बाह्म व्यापार से भी आर्थिक लाभ प्राप्त हो सका। इस प्रकार आंतरिक व बाह्म व्यापार दोनों से प्राप्त आर्थिक लाभ ने मगध राज्य का उत्कर्ष में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
 
4)  सैन्य शक्ति का विकास – मगध की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति ने उसकी सैन्य शक्ति के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चूकि मगध में लोहे की अच्छी खदानें थी, इसलिए मगध युद्ध में लोहे के अस्त्र शस्त्रों का प्रयोग कर अपने साम्राज्य का विस्तार कर सका। उसी प्रकार प्राचीन भारतीय इतिहास में केवल पूर्वी भारत के वनों में ही हाथी पाए जाते थे। चूकि यह क्षेत्र मगध के अधिकार में था, अतः मगध एक बड़ी हस्तीसेना के प्रयोग  से भी युद्ध में विजय प्राप्त कर सका। इसके अतिरिक्त मगध राज्य के पास प्रचुर मात्रा में वन संसाधन भी उपलब्ध थे। वनों से प्राप्त मजबूत लकड़ी से अच्छे किस्म के रथों का निर्माण किया जा सका। साथ ही राजधानी पाटलिपुत्र को भी लकड़ी से बनी प्राचीर से सुरक्षित रख जा सका।
 
5)सुरक्षा – मगध की राजधानी क्रमशः राजगिरी एवं पाटलिपुत्र दोनों को प्राकृतिक सुरक्षा प्राप्त थी। राजगिरी पांच पहाड़ियों में तथा पाटलिपुत्र तीन नदियों (गंगा ,सोन, पुनपुन) से घिरा हुआ था। मगध की राजधानियों से प्राप्त प्राकृतिक सुरक्षा के कारण ही यहां के राजा बिना सुरक्षा की चिंता किए अपनी संपूर्ण शक्ति का प्रयोग साम्राज्य विस्तार हेतु कर सके। परिणाम स्वरूप मगध का सर्वाधिक विस्तार संभव हो सका। Magadh ke utkarsh ke karan
 
6)  सामाजिक दृष्टिकोण – मगध की भौगोलिक स्थिति में यहां के सामाजिक दृष्टिकोण को भी निर्धारित किया। मगर आर्य के प्रभाव क्षेत्र, अर्थात- आर्यावर्त से बाहर स्थित था। इस कारण मगध राज्य में ब्राह्मणवादी मान्यताओं का प्रभाव बहुत कम था। यहां की वर्णाश्रम व्यवस्था में कठोरता ने होने के कारण मगध राज्य में चारों वर्णों की जनता को सेना में भर्ती किया जा सका। इस कारण मगध की सेना सबसे बड़ी एवं शक्तिशाली हो सकी। इस शक्तिशाली सेना ने मगध राज्य के उत्कर्ष को संभव बनाया। साथ ही मगध में ब्राह्मणवादी मान्यताओं का अधिक प्रभाव न होने के कारण यहां बौद्ध एवं जैन धर्म का विकास संभव हो सका। इन दोनों धर्मों का पालन करने वाली यहां की जनता वैदिक कर्मकांड गांव की बजाए अपने संपूर्ण धन का निवेश, शिल्प -उद्योग एवं वाणिज्य व्यापार में कर सकी। इस कारण भी मगध राज्य का चहुमुखी विकास  संभव हो सका।
 
7) मगध के शासकों का योगदान – मगध राज्य का उत्कर्ष में यहां के शासकों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मगध को बिमंबासार, अजातशत्रु ,चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक जैसे योग्य एवं शक्तिशाली शासकों का नेतृत्व प्राप्त हुआ। इन शासकों ने मगध में न केवल केंद्रीकृत प्रशासनिक तंत्र की स्थापना कर यहां आंतरिक स्थिरता बनाए रखी, बल्कि अपनी साम्राज्यवादी सोच एवं शक्तिशाली सेना से साम्राज्य विस्तार करने में भी सफलता प्राप्त की। बिमंबासार की वैवाहिक संबंधों की नीति ने, अजातशत्रु व चंद्रगुप्त मौर्य की साम्राज्यवादी नीति ने तथा अशोक की शांति वादी नीति ने मगध के उत्कर्ष में महत्वपूर्ण योगदान दिया। Magadh ke utkarsh ke karan
 
निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि मगर के उत्कर्ष में ऊपर उल्लेखित समस्त  कारकों की महत्वपूर्ण  भूमिका थी। यहां की भौगोलिक स्थिति, प्रगतिशील जनता एवं योग्य व शक्तिशाली शासकों ने मगध के उत्कर्ष में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
 
यह तो थी छठी सदी ई.पू. की महत्वपूर्ण घटनाएं /परिवर्तन [ मगध का उत्कर्ष] की सम्पूर्ण जानकारी अगली पोस्ट में हम आपको छठी सदी ई.पू. में आर्थिक क्षेत्र के कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन की जानकारी देंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .Com के साथ 🙂
 

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