World Toilet Day : विश्व शौचालय दिवस

विश्व शौचालय दिवस 19 नवंबर

– स्वच्छता को अपने आचरण में इस तरह अपना लो की वह आपकी आदत बन जाए महात्मा गांधी कुछ दिनों पहले ही विश्वभर में गांधी जी की 150 वीं वर्षगांठ को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया विगत कुछ वर्षों से 2 अक्टूबर यानी कि गांधी जयंती के दिन स्वच्छता संबंधी कार्यक्रम देशभर में मनाए जाने लगे हैं दरअसल ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि गांधी जी ने अपने जीवन में स्वच्छता के विचार को हमेशा से लाया और उसके महत्व को तवज्जो दी साफ सफाई और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने वाले गांधीजी खुद अपना शौचालय साफ करते थे 19 नवंबर विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर आइए जानते हैं गांधीजी और स्वच्छता और इस दिवस से जुड़ी विभिन्न जानकारियों के बारे में सबसे पहले जानते हैं टॉयलेट शब्द की उत्पत्ति के बारे में दरअसल टॉयलेट शब्द फ्रेंच भाषा के शब्द से बना है जिसका मतलब होता है कपड़ा या रेपर शुरुआत में इस शब्द का इस्तेमाल एक ऐसे कपड़े के लिए किया जाता था जो ऊपर से ओढा जा सके बाद में इसका इस्तेमाल ड्रेसिंग टेबल को कवर करने वाले कपड़े के तौर पर किया जाने लगा फिर यह शब्द शौचालय के लिए चलन में आया भारत में पहला स्वच्छता बिल 1878 में लागू किया गया जिसके तहत भारत की तत्कालीन राजधानी कोलकाता की झुग्गी बस्तियों में टॉयलेट बनाना जरूरी कर दिया गया था इसके बाद साल 1993 में दूसरा एक्ट पारित हुआ इसके मुताबिक ड्राइ लैट्रीन बनाना और इसे हाथों से साफ करना अपराध माना गया 1909 तक भारत के ट्रेनों में टॉयलेट नहीं हुआ करते थे यात्री गाड़ी रुकने के दौरान ही खुले में शौच के लिए जाया करते थे ऐसे में कई बार ट्रेन भी छूट जाती थी एक बार पश्चिम बंगाल से ओखिल नाम के एक शख्स सफर कर रहे थे वह शौच के लिए बाहर निकले और गार्ड की सीटी सुनने के बाद खुद को संभाल नहीं सके और गिर पड़े ओखिल ने चिट्ठी लिखकर इस बात की सूचना रेलवे ऑफिस को दी मजेदार तरीके से लिखी गई चिट्ठी में टॉयलेट ना होने के कारण परेशानियों का जिक्र था इसके बाद से ही ट्रेन में टॉयलेट की सुविधा दी जाने लगी यह चिट्ठी अब भी रेलवे म्यूजियम दिल्ली में रखी है । world toilet day theme history interesting facts

-दक्षिण अफ्रीका से लेकर हत्या के 1 दिन पहले तक दिया सफाई पर जोर गांधीजी ने शुरुआती समय में ही भारतीयों में स्वच्छता के प्रति उदासीनता की कमी को महसूस कर लिया था उन्होंने किसी भी सभ्य और विकसित मानव समाज के लिए स्वच्छता के उच्च मानदंड की आवश्यकता को समझा उनमें यह समझ पश्चिमी समाज में उनकी पारंपरिक मेलजोल और अनुभव से विकसित हुई दक्षिण अफ्रीका के दिनों से लेकर भारत तक वह अपने पूरे जीवन काल में निरंतर बिना थके स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करते रहे गांधीजी के लिए स्वच्छता एक बहुत ही महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा था जब ब्रिटिश सरकार ने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों और एशियाई व्यापारियों से उन स्थानों को गंदा रखने के आधार पर भेदभाव किया था तब से लेकर अपनी हत्या के 1 दिन पहले तक गांधीजी लगातार सफाई करने पर जोर देते थे वर्धा के सेवाग्राम आश्रम में गांधीजी जिस कच्ची दीवार और बांस से बनी कुटिया में रहते थे उसमें एक शौचालय भी था जिसे खुद साफ करते थे। world toilet day theme history interesting facts

– गांधी जी द्वारा स्वच्छता के संबंध में कही गई प्रमुख बातें कार्यकर्ता को गांव की स्वच्छता और सफाई के बारे में जागरूक करना चाहिए और गांव में फैलने वाली बीमारियों को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने चाहिए गांधी वांग्मय भाग 90 पृष्ठ 528 गांव की स्वच्छता के संदर्भ में सार्वजनिक रूप से पहला भाषण गांधी जी ने 14 फरवरी 1916 को एक सम्मेलन के दौरान दिया था उन्होंने वहां कहा था देशी भाषाओं के माध्यम से शिक्षा की सभी शाखाओं में जो निर्देश दिए गए हैं मैं स्पष्ट कहूंगा कि उन्हें आश्चर्यजनक रूप से समूह कहा जा सकता है गांव की स्वच्छता के सवाल को बहुत पहले हल कर लिया जाना चाहिए था गांधी वांग्मय भाग-13 पृष्ठ 222

स्कूली और उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में स्वच्छता को तुरंत शामिल करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए 20 मार्च 1916 को गुरुकुल कांगड़ी में दिए गए भाषण में उन्होंने कहा था गुरुकुल के बच्चों के लिए स्वच्छता और सफाई के नियमों के ज्ञान के साथ ही उनका पालन करना भी प्रशिक्षण का एक अभिन्न हिस्सा होना चाहिए इन अदम्य स्वच्छता निरीक्षकों ने हमें लगातार चेतावनी दी कि स्वच्छता के संबंध में सब कुछ ठीक नहीं है मुझे लग रहा है कि स्वच्छता पर आगंतुक के लिए वार्षिक व्यवहारिक सबक देने के सुनहरे मौके को हमने खो दिया गांधीजी ने धार्मिक स्थानों में फैली गंदगी की और भी ध्यान दिलाया था 3 नवंबर 1917 को गुजरात राजनीतिक सम्मेलन में उन्होंने कहा था पवित्र तीर्थ स्थान डाकोर यहां से बहुत दूर नहीं है मैं यहां गया था वहां की पवित्रता की कोई सीमा नहीं है उस स्थान पर गंदगी की ऐसी स्थिति है कि स्वच्छ वातावरण में रहने वाला कोई व्यक्ति वहां 24 घंटे तक भी नहीं कर सकता तीर्थयात्रियों ने यहां के टैंकरों और गलियों को प्रदूषित कर दिया है गांधी वांग्मय भाग-14 पृष्ठ -57 कोलकाता में दिए गए भाषण में उन्होंने कहा वह कार्यकर्ता गांव के धर्मगुरु या नेता के रूप में लोगों के सामने ना आए बल्कि अपने हाथ में झाड़ू लेकर आएं गंदगी गरीबी निठल्ला बुराइयों का सामना करना होगा और उससे झाड़ू कुनैन की गोली और अरंडी के तेल साथ लड़ना होगा  गांधी वांग्मय भाग-28 पृष्ठ 109। world toilet day theme history interesting facts

-संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2013 में नामित किया विश्व शौचालय दिवस विश्व में सभी लोगों को शौचालय की सुविधा उपलब्ध करवाना संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य का हिस्सा है शौचालय एक शक्तिशाली अर्थव्यवस्था बनाने और स्वास्थ्य में वृद्धि करने और लोगों की गरिमा और सुरक्षा के रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है विश्व शौचालय दिवस 19 नवंबर को मनाया जाने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है यह दिवस पर्याप्त स्वच्छता के महत्व पर बल देता है और सभी के लिए सुरक्षित और स्वच्छ शौचालय की पहुंच के बारे में ध्यान आकर्षित करता है विश्व शौचालय दिवस हर साल 19 नवंबर को स्वच्छता संबंधित मुद्दों के समर्थन के लिए और सुरक्षित स्वच्छता को प्रोत्साहित और स्वच्छता के साथ जुड़े हुए मिथकों को तोड़ने के उद्देश्य से दुनिया भर में लोगों और उनके समुदाय को शामिल और शिक्षित करने के लिए मनाया जाता है शौचालय और स्वच्छता के मुद्दे पर चुप्पी के घातक परिणाम हो सकते हैं पानी और स्वच्छता मानव के अधिकारों में शामिल है इसलिए इस दिन उन लोगों में जिनके पास पानी और स्वच्छता के मानव अधिकार के बावजूद शौचालय तक पहुंच नहीं है उनके बारे में जागरूकता पैदा करने की कोशिश की जा सकती है स्वच्छ सुरक्षित शौचालय स्वास्थ्य गरिमा गोपनीयता और शिक्षा के लिए पूर्व शर्त है इस दिन का उद्देश्य स्वच्छता संकट पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करना है 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक तौर पर 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस के रूप में नामित किया था यह सरकारों और भागीदारों के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र जल द्वारा समन्वित है।

– दुनिया भर में स्वच्छता और शौचालय की स्थिति में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है विश्व शौचालय संगठन 2001 में विश्व शौचालय संगठन की स्थापना हुई और इसी दिन वर्ल्ड टॉयलेट समिट का आयोजन भी किया गया था यह अपने तरह की विश्व की पहली समिट थी विश्व शौचालय संगठन के जैक सिम और सिंगापुर के रेस्टूम एसोसिएशन को इस बात का अहसास हुआ कि शौचालय के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय दिन होना चाहिए और इसलिए वह विश्व शौचालय दिवस मनाने के विचार के साथ आगे बढ़े ताकि वह दुनिया भर के लोगों के लिए स्वच्छता के मुद्दों की याद दिलाता रहे विश्व शौचालय संगठन एक अंतरराष्ट्रीय गैर लाभकारी संस्था है जो दुनिया भर में स्वच्छता और शौचालय की स्थिति में सुधार के लिए प्रतिबद्धता से काम कर रही है इस संगठन की शुरुआत 15 सदस्यों के साथ हुई थी अब इसकी संख्या 58 देशों से बढ़कर 100 से अधिक हो गई है संगठन के सभी सदस्य शौचालय की समस्या को खत्म करने और दुनिया भर में स्वच्छता के समाधान के लिए काम करते हैं इसके अलावा यह संगठन विश्व शौचालय सम्मेलन का आयोजक है और इसी संगठन ने संयुक्त राष्ट्र की तरफ से विश्व शौचालय दिवस की शुरुआत की है यह संगठन सिंगापुर में 19 नवंबर 2001 को जैक सिम द्वारा स्थापित किया गया था यह संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों अकादमी शौचालय संघों शौचालय हित धारकों और सरकार के लिए एक सेवा मंच और एक वैश्विक नेटवर्क के रूप में काम करता है इसके बनने के बाद से इसमें वैश्विक स्वच्छता के संकट को समाप्त करने के लिए स्थाई और परिवर्तनआत्मक समाधान का पता लगाने के लिए निजी क्षेत्र सरकारों नागरिक समाज शिक्षा और बहुपक्षीय एजेंसियों को एक साथ बांधकर रखा है इसका मिशन सहयोगी कार्यो की सहायता से वैश्विक स्वच्छता के आंदोलन को बढ़ावा देना है जो स्वच्छता की मांग को उत्साहित और प्रेरित करता है और सभी के लिए सतत स्वच्छता प्राप्त करने के लिए नए समाधान प्रदान करता है विश्व शौचालय दिवस की स्थापना के बाद से दुनिया में परिवर्तन करने के लिए व्यवसाय सरकारों और कई अन्य समूह ने इस को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है इस दिन ने कई पाबन्दियों को भी तोड़ा है जो शौचालय की विषय पर चर्चा करने और सुरक्षित और बेहतर समाधान बनाने के लिए है। world toilet day theme history interesting facts

-2019 की थीम है लीविंग नो वन बिहाइंड 

-इस वर्ष विश्व शौचालय दिवस की थीम रखी गई है लीविंग नो वन बिहाइंड इस वर्ष का अभियान इस अवधारणा पर आधारित है कि शौचालय केवल शौचालय मात्र नहीं है यह किसी की जिंदगी बचा सकता है यानी लाइफ़सेवर है यह किसी की गरिमा को सुरक्षित रखता है यानी यह डिग्निटी प्रोटेक्टर है और आप क्या है और कौन है इसमें कोई फर्क नहीं पड़ता फर्क तो इस बात से पड़ता है कि आप स्वच्छता को अपनाए क्योंकि यह मानव अधिकार है ।

-विश्व शौचालय दिवस की पिछले वर्ष की थीम 2018 की थीम जब प्रकृति पुकारे 2017 की थीम वेस्ट वाटर 2016 की थीम शौचालय और नौकरियां 2015 की थीम शौचालय और पोषण 2014 की थीम समानता और सम्मान 2013 की थीम पर्यटन और जल हमारे भविष्य की सुरक्षा 2012 की थीम मैं बुरे काम करता हूं क्या आप करते हैं शौचालय जीवन के लिए आवश्यक है क्योंकि मानव अपशिष्ट कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है विश्व शौचालय दिवस वैश्विक स्वच्छता संकट से निपटने के लिए सभी के द्वारा आवश्यक कदम उठाए जाने के बारे में है विश्व सतत विकास लक्ष्य 6 एस डी जी 2030 तक सभी के लिए स्वच्छता और पानी की उपलब्धता और टिकाऊ प्रबंधन सुनिश्चित करना अभी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की राह पर है विश्व जनसंख्या के 420 करोड लोग सुरक्षित शौचालय के बिना रहते हैं और 67.3 करोड़ लोग अभी भी खुले में शौच करते हैं इस पैमाने पर मानव मल के संपर्क में आने से सार्वजनिक स्वास्थ्य जीवन और कार्य परिस्थितियों पोषण शिक्षा और दुनिया भर में आर्थिक उत्पादकता पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है एसडीजी 6 का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हर किसी के पास एक सुरक्षित शौचालय हो और कोई भी व्यक्ति 2030 तक खुले में शौच ना करें। world toilet day theme history interesting facts

– स्वच्छता क्यों है जरूरी

बच्चों में विभिन्न बीमारियों और कुपोषण का प्रसार जो एक ऐसी स्थिति से संबंधित है जिसे पर्यावरणीय इंट्रोपेथी कहा जाता है सीधे मानव के संपर्क से जुड़ा होता है इन बीमारियों को रोकने के लिए स्वच्छता बहुत महत्वपूर्ण है जिन लोगों की पहुंच असुरक्षित और अशुद्ध शौचालय तक है उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिनमें टाइफाइड हैजा डायरिया हेपेटाइटिस जैसी कई बीमारियां शामिल हैं खुले में शौचालय जाने पर बच्चों और महिलाओं पर होने वाले यौन उत्पीड़न के प्रकरणों में भी वृद्धि होती है ।

-मानव अपशिष्ट के लिए चार चरणीय यात्रा रोकथाम मानव अपशिष्ट को एक स्वच्छ शौचालय में जमा किया जाना चाहिए और मानव संपर्क से अलग एक टैंक में संग्रहित किया जाना चाहिए।

– परिवहन पाइप या शौचालय खाली करने के लिए मानव कचरे को उपचार चरण में ले जाना चाहिए ।

-उपचार मानव अपशिष्ट को अपशिष्ट जल और अपशिष्ट उत्पादों से संसाधित किया जाना चाहिए जिन्हें सुरक्षित रूप से पर्यावरण में वापिस किया जा सकता है ।

-निपटान या पुनः उपयोग करें सुरक्षित रूप से उपचारित किए गए मानव अपशिष्ट का उपयोग ऊर्जा उत्पादन या खाद्य उत्पादन में उर्वरक के रूप में किया जा सकता है ।

-शौचालयों का अद्भुत संग्रहालय हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता की जानकारी है मौजूद दुनिया में अलग-अलग तरह के कई संग्रहालय बनाए गए हैं उन्हीं में से एक अनोखा संग्रहालय भारत में भी तैयार किया गया है भारत की स्वयंसेवी संस्था सुलभ इंटरनेशनल ने शौचालयों का एक ऐसा संग्रहालय बनाया है जिसमें शौचालय और मानव की गहरी रिश्तो को दिखाया गया है इस म्यूजियम में शौचालय का पूरा इतिहास दर्ज है इस म्यूजियम में आपको 5000 साल पुराने टॉयलेट के बारे में आसानी से जानकारी मिल जाएगी इस टॉयलेट म्यूजियम में मानव सभ्यता के सबसे पुराने ड्रेनेज की भी जानकारी मौजूद है जोकि सिंधु घाटी सभ्यता के समय बना था 3000 ईसा पूर्व की हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की संस्कृति में भी अंडर ग्राउंड और ओवरग्राउंड टॉयलेट हुआ करते थे जिससे यह भी साबित होता है कि प्राचीन भारत के लोग स्वच्छता को लेकर ज्यादा जागरूक थे । world toilet day theme history interesting facts

-अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की रिपोर्ट 2019 के अनुसार विश्व के 420 करोड़ 4.2 बिलियन लोग सुरक्षित तरीके से मल का निपटान नहीं करते हैं डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की रिपोर्ट 2019 के अनुसार दुनिया भर में स्थान 67.3 करोड़ लोग अभी भी खुले में शौच करते हैं और करोड़ों लोग बेसिक हैंडवाश सुविधाओं का उपयोग नहीं करते हैं पेयजल के प्रदूषण और स्वच्छता ना होने की वजह से प्रतिवर्ष 432000 लोगों की मौत डायरिया से हो जाती है इनमें से 297000 बच्चे शामिल हैं जिनकी उम्र 5 वर्ष से कम होती है दुनिया के सबसे बड़े शौचालय पॉट मॉडल को हरियाणा के मरोरा गांव में लांच किया गया था गैर सरकारी संगठन के अनुसार भारतीय शैली का यह बड़ा पात्र लोहे फाइबर लकड़ी और प्लास्टर ऑफ पेरिस का बना हुआ है यह 20 फुट लंबा और 10 फुट चौड़ा था संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े बताते हैं कि पानी की उत्पादकता में कमी और स्वच्छता से संबंधित बीमारियों पर कई देश अपनी जीडीपी का 5% तक खर्च कर देते हैं। world toilet day theme history interesting facts


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