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General studies paper – 4 notes 
Part – 5

Topic – लघु उत्तरीय प्रश्न- सांवेगिक बुद्धि, अंतःकरण अंतरात्मा की आवाज, विवेक का संकट, 


-सांवेगिक बुद्धि से आप क्या समझते हैं यह बुद्धि लब्धि से किस प्रकार भिन्न है ?

-सांवेगिक बुद्धि समझ किसी व्यक्ति द्वारा खुद की भावनाओं और अन्य की भावनाओं को एहसास कर समूह या टीम के रूप में बेहतर कार्य करने के लिए इन भावनाओं का प्रबंधन करना है वही बुद्धि लब्धि वह मूल्य है जो किसी व्यक्ति की सार्थक रूप में सूचनाएं और कौशल की सीखने समझने और इस्तेमाल करने की क्षमता को इंगित करता है किसी व्यक्ति की प्रसन्नता और सफल होने की क्षमता को सुनिश्चित करने में दोनों प्रकार की बुद्धियों की आवश्यकता होती है किंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि मनुष्य सामाजिक प्राणी है जिस कारण खुश और सफल जीवन जानने के लिए इक्यू को जीवन का अपेक्षाकृत अधिक अनिवार्य घटक बनाता है इसमें कोई दो राय नहीं कि एक उच्चतर बुद्धि या I.Q. अतिरिक्त लाभ प्रदान करता है पर इक्यू ऐसी बुद्धि है जिसके बिना जीना कठिन है उच्च ईक्यू वाले व्यक्ति को सफल होने के लिए उच्च I.Q. को होना जरूरी नहीं है क्योंकि कार्य स्थलों पर और रोजमर्रा की जिंदगी में सामाजिक कौशल का लगातार उपयोग किया जाता है उच्च आइक्यू वाले व्यक्ति सूचनाओं को समझने में असाधारण रूप से प्रतिभाशाली हो सकते हैं पर जब सामाजिक क्रियाकलापों या संबंधों की बात आती है तब खुद को समझाने के लिए उन्हें कठिन मेहनत की जरूरत पड़ती है वैसे भी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वास्तविक रूप में सफल होने के लिए आइक्यू के साथ ईक्यू का होना भी जरूरी है कहा भी जाता है कि उच्चतर आइक्यू आपको सर्वोच्च पद पर पहुंचा सकता है पर वह आपको टॉप नहीं बना सकता टॉप व्यक्ति बनाने में एक्यू की भूमिका महत्वपूर्ण है । Ethics notes upsc ias

-सांवेगिक बुद्धिमता का कार्य स्थलों में विकास हेतु रणनीति और सुझाव ?


सांवेगिक बुद्धिमता को जन्मजात गुण नहीं है बल्कि यह सीखी गई अर्जित और सुधार योग्य गुण हैं सांवेगिक बुद्धिमता प्रशिक्षण तथा व्यवहार परिवर्तन पर शोधकर्ताओं ने यह सुझाव देते हैं कि कार्य स्थलों पर किसी बड़ी उम्र के लोगों को अधिक सांवेगिक बुद्धि का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है सांवेगिक बुद्धिमता किसी भी संगठन के आधार रेखा के निर्माण में सहयोग करती है यह मानव विकास व्यवसायिक और वरिष्ठ प्रबंधन या अपनी कंपनी को अधिक उत्पादन शील और लाभप्रद बनाने चाहते हैं उनके लिए बहुत ही मूल्यवान हो सकती है सांवेगिक बुद्धिमता सीखने के अंतर्गत किसी भी भावना को जानना तथा अच्छी निर्णय लेने के लिए उनका प्रयोग हतोत्साहित होने की स्थिति में आशा बनाए रखना सहानुभूति दया भाव सीखना तथा संबंधों का प्रभावशाली और सफलतापूर्वक प्रबंधन आदि में दक्षताएं परिवार प्रबंधन जीवन चर्या तथा कार्य स्थलों पर व्यवहार आदि बनाए रखने में बहुत ही महत्वपूर्ण है सृजनात्मक नेतृत्व की केंद्र में यह पाया गया कि कार्यों के पूर्ण ना होने के प्रधान कारकों में संवेगिक पक्षों का विकास नहीं होना है जैसे कि समझ की कमी स्वयं या दूसरों की भावनाओं की प्रतिक्रिया और उनका वर्णन इस प्रकार के लोगों को विशेष रूप से आयोजित कार्यशाला के माध्यम से सामूहिक दक्षता का प्रशिक्षण दिया जा सकता है यह उन लोगों के लिए बहुत ही कारगर सिद्ध होगी जो कि संघर्षों को सुलझाते हैं समझौता वार्ता करते हैं । Ethics notes upsc ias

-कार्य स्थलों पर निम्नलिखित सामूहिक दक्षता को सिखाया जा सकता है दूसरों की भावनाओं की पहचान और समझने की योग्यता का विकास करना यह स्वयं की संवेदना को समझने की भी योग्यता है कार्यस्थल पर सामूहिक बुद्धिमता के विकास हेतु भावनात्मक कहानियां सुनना चाहिए इससे भावनाओं को पहचानने और व्यक्त करने में सहायता मिलेगी अपनी भावनाओं के लिए पूर्व जिम्मेदारी लेना अपनी संवेदनाओं को पूर्ण रूप से महसूस करें और उन्हें पूर्व विकास हेतु अवसर प्रदान देना सीखे भावनाओं के कारणों को प्रकाशित और स्पष्ट रखें अपने आसपास के लोगों की भावनाओं की पहचान और समझने की क्षमता का विकास करें सांवेगिक बुद्धिमता दूसरों की भावनात्मक अनुभव को समझने की योग्यता है जिससे कि कार्यस्थल पर दूसरों की भावनात्मक प्रतिक्रिया को निश्चित रूप से समझने में मिलेगी भावनाओं को अनुकूलित रूप से अभिव्यक्त करें इस क्षमता से दबाव को कम करने में मदद मिलेगी भावनात्मक और बोद्धिक बुद्धि को बढ़ावा देने के लिए भावनाओं का परिवर्तित नियंत्रण करें यह भावनाओं के नियंत्रण और भावनाओं की वांछनीय और अवाँछनीय विशेषताओं को समझने की क्षमता है स्वयं तथा दूसरों में भावनाओं को नियंत्रित करना सीखे इस योग्यता से संवेदना के नियंत्रण और लालच को टालने में मदद मिलेगी भावनाओं के मूल में पर्याप्त विश्वास को पहचानना सीखे तथा उन्हें इस बात के लिए प्रशिक्षित करें कि वे अक्षम विश्वास को हटा दें जिससे अधिक शक्तिशाली विश्वास को लाया जा सके सांवेगिक बुद्धिमता को सिखाया पढ़ाया जा सकता है जिससे कि भावनात्मक प्रशिक्षण कार्यक्रम का विकास होगा जैसा कि ऊपर वर्णित किया गया है जिससे कि प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच भावना योग्यता बढ़ेगी इस प्रकार संपूर्ण संगठनात्मक प्रदर्शन और सफलता में वृद्धि होगी संगठनों को कार्य स्थलों पर नई शिक्षा और नवाचारओं के अनुप्रयोगों को प्रसारित करना चाहिए जिससे कि भावनात्मक दक्षता को सीखने तथा व्यक्तित्व के गुणों को बढ़ाने में मदद मिलेगी जो की सांवेगिक बुद्धिमता से संबंधित है। Ethics notes upsc ias

– अंतःकरण अंतरात्मा की आवाज से आप क्या समझते हैं ?

आप स्वयं को अंतःकरण की आवाज पर ध्यान देने के लिए कैसे तैयार करते हैं अंतःकरण की आवाज मानवीय अस्तित्व से जुड़ा एक ऐसा दार्शनिक विषय है जिस पर समय-समय पर दार्शनिकों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं इन दार्शनिक बाद विवादों के अनेक आयाम है किंतु इस बात पर मतैक्य है कि मानवीय चेतना का एक ऐसा पहलू अवश्य जहां कोई अज्ञात व्यक्ति को निरंतर उच्च सिद्धांतों के अनुगमन की ओर प्रेरित करती है इसी अज्ञात सत्ता के मूक  और आत्म निष्ठ मार्गदर्शन को अंतःकरण की आवाज कहते हैं यह व्यक्ति के समस्त नैतिक मूल्यों का स्रोत है अंतरण की आवाज से हम उचित और अनुचित का अंतर करते हुए सही निर्णय कर पाते हैं अंतःकरण की आवाज व्यक्ति के सामाजिक सांस्कृतिक और पारिवारिक संस्कारों से निर्धारित होती है जब भी कोई कठिन परिस्थितियों होती है या व्यक्ति उचित अनुचित के बीच असमंजस में हो जाता है तब अंतरण की आवाज अथवा चेतना ही राह दिखा कर उचित निर्णय की और ले जाती है अंतरण की आवाज तभी प्रभावी होती है जब व्यक्ति अपने व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर कार्य करता है मन की आवाज सुनने के लिए स्वयं को तैयार करने के लिए हमें व्यक्तिगत स्वार्थ और पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर उचित अनुचित का निर्णय करना होता है अपने मन और मस्तिष्क को केवल सही या उचित निर्णय के लिए तैयार करना होता है इसके लिए निम्न प्रयास करना उचित रहता है कुछ पल रुक कर और मामले के विभिन्न पक्षों पर विचार करना चाहिए मौन की शक्ति को को समझते हुए आत्मचिंतन ध्यान और प्रार्थना का संबल लेना स्वयं को बाहरी प्रभाव और स्वार्थ  से बचाना आदि । Ethics notes upsc ias


-विवेक का संकट से क्या अभिप्राय है अपने जीवन की एक घटना बताइए जब आपका ऐसे संकट से सामना हुआ और आपने उसका समाधान कैसे किया ?

जब कोई व्यक्ति इस असमंजस में हो कि क्या सही है और क्या गलत है तो ऐसी परिस्थिति को विवेक का संकट कहा जाता है यह परिस्थिति तब उत्पन्न होती है जब व्यक्ति इस चिंता में हो कि उसने कोई अनैतिक या अनुचित कार्य किया है और उसे सुधारने या स्वीकार करने में कठिनाई आ रही है विवेक का संकट एक नैतिक दुविधा या असमंजस की मनस्थिति होती है यदि कोई व्यक्ति अपने अंतःकरण की आवाज के विरुद्ध कार्य करता है तब विवेक के संकट की स्थिति उत्पन्न होती है यह स्थिति मानवीय कमजोरी और मजबूरियों के कारण उत्पन्न होती है व्यक्ति के आचरण की शुचिता और परिस्थितियों या व्यवहार के दबाव के बीच द्वंद्व को विवेक का संकट कहा जा सकता है यह एक प्रकार का भावात्मक द्वंद्व है इसी प्रकार की एक घटना मेरे जीवन में तब आई जब एक बार बस स्टॉप पर मेरे छोटे भाई को एक बैग मिला जिसमें काफी रुपए रखे थे उसने आसपास देखा जब किसी ने उस बेग पर अपना  अधिकार नहीं बताया तो वह उसे घर ले आया किंतु वह दुविधा में था उसने मुझसे पूछा कि उसे क्या करना चाहिए क्योंकि उस समय उसे रुपए की आवश्यकता भी थी तब सोच विचार कर मैंने उसे सलाह दी कि इस पैसे पर तुम्हारा अधिकार नहीं बनता क्योंकि यह किसी की जरूरत का पैसा हो सकता है इसलिए इसे या तो उसके मालिक तक पहुंचाना चाहिए अथवा पुलिस को सौंप दिया जाना चाहिए हम दोनों ने पुलिस स्टेशन जाकर पूरी कागजी कार्यवाही के बाद बैग पुलिस को सौंप दिया इसके बाद मैंने और मेरे भाई हम दोनों ने अत्याधिक आत्म संतुष्टि और प्रसन्नता का अनुभव किया जो शायद विवेक के संकट से मुक्ति पाने के कारण ही था। Ethics notes upsc ias


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