UPSC Mains General Studies Paper 4 notes in hindi

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General studies paper – 4 notes 

Part – 7

Topic – अभिवृत्ति के निर्माण, लोक सेवा में जवाबदेही , प्रशासन में भ्रष्टाचार, भारतीय मूल्य और लोक कल्याण की धारणा


 -सामाजिक समस्याओं के प्रति व्यक्ति की अभिवृत्ति के निर्माण में कौन से कारक प्रभाव डालते हैं हमारे समाज में अनेक सामाजिक समस्याओं के प्रति विषम अभिवृत्तिया व्याप्त हैं हमारे समाज में जाति प्रथा के बारे में क्या-क्या विषम अभिवृत्ति आपको दिखाई देती है इन विषम अभी वृत्तियों को आप किस प्रकार स्पष्ट करते हैं ?

-समाजिक समस्याओं के प्रति व्यक्ति की अभिवृत्ति बनाने में निम्न कार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है उसके परिवार के सामाजिक मूल्य रूढ़िवादी थे या प्रगतिशील उसे तार्किक विज्ञानिक शिक्षा मिली या नहीं उसे भिन्न-भिन्न सामाजिक समूह से संवाद या अंतर क्रिया करने के पर्याप्त अवसर मिले या नहीं हमारे समाज में जाति प्रथा को लेकर निम्न तीन विषम अभिवृतिया दिखाई देती है कुछ लोग इसे पूर्ण तार्किक और देवीय व्यवस्था मानते हैं कुछ लोग इसे सिर्फ़ शोषणकारी तथा अमानवीय व्यवस्था के रूप में देखते हैं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनकी राय में यह व्यवस्था अपने मूल रूप में तार्किक थी पर जन्म आधारित होने के उपरांत जड़ और अमानवीय हो गई इन विषम अभिवृत्तिओ के सह अस्तित्व की व्यवस्था यह है कि अधिकांश व्यक्ति आजीवन उन्हीं मूल्यों को मानते रहते हैं जो उन्हें बचपन से परिवार से मिले थे क्योंकि विरोधी समूहों के साथ उनका इतना संवाद कभी नहीं होता कि उनकी अभिव्यक्ति बदल सके इसलिए जाति प्रथा का समर्थन अगड़ी जातियों की सदस्य करते हैं और विरोध दलित या पिछड़ी जातियों के सदस्य क्योंकि जाति एक वोट बैंक और दबाव समूह भी है इसलिए जातिवाद पर आधारित फायदे भी अभिवृत्ति प्रवर्तन को बाधित करते हैं । UPSC Mains General Studies Paper 4 notes in hindi

-लोक सेवा के संदर्भ में जवाबदेही का क्या अर्थ है ?

लोक सेवकों की व्यक्तिगत और सामूहिक जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए क्या-क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं जवाबदेही का अर्थ है किसी कार्य से जुड़ी संभावित विफलता या प्रक्रिया के लिए किसी व्यक्ति विशेष की जिम्मेदारी का निर्धारित होना ऐसे स्पष्ट निर्धारण से किसी भी कार्य परियोजना की सफलता की संभावना बढ़ जाती है लोक सेवा के संदर्भ में भी इनका यही अर्थ है अर्थात यह निर्धारित करना कि किसी कार्य या परियोजना के संदर्भ में अंतिम जिम्मेदारी किस अधिकारी की होगी किसके प्रति होगी अगर कार्य विफल हुआ तो उसके खिलाफ क्या कदम उठाए जा सकेंगे और उन्हें उठाए जाने की क्या प्रक्रिया होगी लोक सेवा के मामले में जवाबदेही अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें जनता का धन और सुविधाएं दांव पर होती है और लोकतंत्र में संपूर्ण प्रशासन की जवाबदेही जनता के प्रति ही बनती है लोक सेवकों की व्यक्तिगत और सामूहिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के उपाय हैं सुनिश्चित सोपानक्रम होना चाहिए जिसमें सभी पदों की शक्तियां और उत्तरदायित्व स्पष्ट परिभाषित हो किसी कार्य या परियोजना के संदर्भ में सभी अधिकारियों में स्पष्ट कार्य विभाजन संदेह की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए जिम्मेदारी को निभाने की प्रतिबद्धता और निष्पादन के आधार पर समुचित पुरस्कारों तथा दण्डो की वस्तुनिष्ठ व्यवस्था प्रशासन को कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों कर्मचारियों की संपूर्ण सुरक्षा की गारंटी देनी चाहिए ताकि वे निर्भयता पूर्ण लोकहित में निर्णय करे सामूहिक जवाबदेही वाले समूह में ऐसे सदस्य हैं जिनमें पारस्परिक सहयोग की भावना हो ऊध्र्वाधर तथा क्षेतिज संचार हर क्षेत्र हर समय उपलब्ध हो ताकि संवाद हीनता के निर्णय  में विलंब ना हो व्हाट्सएप ग्रुप जैसे उपाय इसमें बेहद सहायक हैं । UPSC Mains General Studies Paper 4 notes in hindi

-प्रशासन में भ्रष्टाचार के ऋणात्मक प्रभाव की चर्चा करें ?

भ्रष्टाचार से आशय होता है भ्रष्ट आचरण या शिष्टाचार रहित या नैतिकता रहित आचरण का परिचायक सामान्य अर्थों से इसका आशय किसी कार्य को करने के लिए या ना करने के लिए पेश या रिश्वत लेने से है व्यापक अर्थों में कहा जाए तो अपनी पद या सत्ता का गलत या नियम अनुसार उपयोग नहीं करने से है भ्रष्टाचार का निम्न विवरणात्मक परिणाम हो सकता है नैतिक मूल्यों का ह्रास अगर हर व्यक्ति भ्रष्टाचार में शामिल हो जाएगा तो उसमें मानवीय भाव समाप्त हो जाएगा जो समाज के लिए खतरा है राष्ट्रीय विकास में बाधा इस व्यक्ति को जितना चाहिए उतना रखकर अपनी तरक्की कर सकता है परंतु औरों की नहीं जो घातक है राष्ट्रीयता का हनन भ्रष्टाचार राष्ट्र की एकता अखंडता पर प्रभाव डालता है आय की असमानता का बढ़ना एक व्यक्ति के पास ज्यादा संपत्ति दूसरे के पास नहीं है गरीबी का सूचक है जो देश के लिए घातक है अराजकता भाषावाद सांप्रदायिकता का फैलाव होता लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा क्योंकि लोग ज्यादा लाभ के लिए खाद्य पदार्थों में मिलावट करेंगे भविष्य खतरे में होगा जो भी आने वाली संतान है वह भी इस प्रकार का आचरण करेगी । UPSC Mains General Studies Paper 4 notes in hindi

-आज के दौर में गांधीगिरी का औचित्य स्पष्ट करें ?

वर्तमान समय में गांधीजी के विचारों को व्यवहार में उतारने की प्रक्रिया गांधीगिरी के रूप में परिलक्षित हो रही है गांधी एक महान दार्शनिक समाज सुधारक राष्ट्रपिता बापू दलितों का उत्थान करने वाले एक महान व्यक्तित्व जिनको वर्तमान समय उनका ही अनुसरण किया जा रहा है गांधी जी ने जो सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया है वह वर्तमान युग में तो प्रासंगिक है आगे की सदियों में भी प्रसांगिक रहेगा वर्तमान समय में जो आतंकवाद सांप्रदायिकता या क्षेत्रवाद की समस्या है वह अहिंसा के माध्यम से ही दूर की जा सकती है लेकिन उससे पहले सबसे समान अधिकार के साथ उत्पादन भाग सभी को मिले जैसे कि गांधी जी अपने ट्रस्टशिप के सिद्धांत में कहा है उसके लिए सभी को अपने हृदय परिवर्तन की आवश्यकता है वर्तमान समय में जो लोकतंत्र में जो चुनौतियां रही है उनके सत्याग्रह के माध्यम से दूर किया जा सकता है सत्याग्रह में निम्न बातों का समावेश होता है अहिंसा सविनय अवज्ञा हिजरत उपवास हड़ताल गांधी जी कहते हैं कि वर्तमान में जो पर्यावरण की समस्या उसको अपनी लालच की सीमा को कम करके किया जा सकता है उनका कहना था कि पृथ्वी के पास जरूरतमंद इंसान के लिए सब कुछ है परंतु किसी लालची व्यक्ति के लिए नहीं गांधीजी की नजर में पूरा विश्व एक परिवार है और सबके साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए ।

-भारतीय मूल्य और लोक कल्याण की धारणा फिर भारतीय में बढ़ता भ्रष्टाचार ऐसा क्यों ?

भारतीय मूल्य और लोक कल्याण की धारणा में जो भ्रष्टाचार नामक सहायक रोग का बढ़ने का कारण मूल्यों की हानि से तथा लोक कल्याण की जगह यह निजी कल्याण में परिवर्तन होने से है वर्तमान समय में जो राजनेताओं द्वारा अपने पद और सत्ता की प्राप्ति के लिए इस प्रकार के आधार को अपनाया जा रहा है वह बहुत ही गंभीर कारण भ्रष्टाचार रूपी इस बीमारी का समाज के प्रत्येक वर्ग तक फैलने से है कहा जाता है कि जैसा राजा होगा वैसी प्रजा होगी और उसी का अनुसरण आम जनता करेगी नैतिक मूल्यों का ह्रास वर्तमान जो वैश्वीकरण और निजीकरण के कारण हुआ है क्योंकि इनका मुख्य उद्देश्य ही निजी लाभ को कमाने का होता है जिस प्रकार से आप भौतिकवादी संस्कृति का चलन बढ़ रहा है उसी प्रकार से भ्रष्टाचार रूपी राक्षस अपने पैर हिलाते जा रहा है भारतीय मूल्य भले ही हमेशा अपने कर्तव्य और कार्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करते हैं लेकिन कहा जाता है कि जैसा देश होगा वैसा भेष होता है विभिन्न सांस्कृतिक मूल्यों के समावेश से ही भारतीय मूल्यों का ह्रास हो रहा है वर्तमान समय में जो लोक कल्याण की भावना का जन्म हुआ है लेकिन हमारे प्रशासन जब पराहित या समानुभूति की जगह सिर्फ निजी हित पर ध्यान देंगे तो भ्रष्टाचार का बढ़ना तो और आसान हो जाता है। UPSC Mains General Studies Paper 4 notes in hindi

  1. – प्रशासन में नैतिकता की मांग के कारण लोकतांत्रिक मूल्यों जैसे समानता कानून न्याय अधिकार तथा स्वतंत्रता नैतिक अर्थ रखते हैं तथा शासकों से इनके लिए एक अटूट प्रतिबद्धता की मांग करते हैं ऐसे तमाम कारक है जो हमारे लोक सेवकों से नैतिक और नीति पूर्ण व्यवहार की बढ़ती मांग को सुनिश्चित करने में गिनाए जा सकते हैं इनमें प्रमुख हैं सरकार के कार्यकलापों में वृद्धि तथा कल्याणकारी राज्य की संकल्पना का विस्तार नागरिकों के अधिकार में वृद्धि सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के बढ़ते मामले नागरिकों की तरफ से बढ़ती उम्मीदें और परिणामी कुंठा।
  2. – प्रशासनिक नैतिकता को बनाए रखने या नैतिकता स्तर को ऊंचा उठाने के उपाय प्रशासन में नैतिकता की मांग अनेक स्तरों पर अनेक कारणों से की रही है इसलिए प्रशासनिक नैतिकता के मापदण्ड निश्चित करने के लिए व्यापक और कारगर प्रयासों की आवश्यकता है इस संबंध में निम्न कदम उठाए जा सकते हैं 
  3. -विश्वास और व्यावसायिक कार्यों में उत्तम सेवा का लक्ष्य प्रशासनिक नैतिकता के लिए सरकार को ऐसे नीतिक मानदंड स्थापित करने चाहिए जिससे कार्यों के निष्पादन में गतिशीलता और निष्पक्षता आए और सरकार के संगठन में संलग्न पदाधिकारियों में अहंकार का जन्म ना हो ।
  4. -स्वार्थ की संकल्पना इसकी सदा आशा की जाती है कि लोक सेवक अपने निर्णय बिना किसी पक्षपात या पूर्वाग्रह के ले।
  5. – तार्किकता और वस्तुनिष्ठता की अवधारणा मामला चाहे पुरस्कार प्रदान करने का हो या दंड देने का पदाधिकारी योग्यता के आधार पर अपने विकल्पों के चुनाव के लिए उत्तरदाई है ।
  6. -व्यवहारिक सत्यनिष्ठा लोक सेवकों को किसी वित्तीय या अन्य किसी अनुग्रह से कभी प्रभावित नहीं होना चाहिए। UPSC Mains General Studies Paper 4 notes in hindi
  7. – वित्तीय जवाबदेही जनपद पदाधिकारी अपने निर्णय और कार्यों के लिए जनता के समक्ष उत्तरदाई होना चाहिए तथा अपने कार्यालय के लिए जो कोई भी उचित हो स्वयं प्रस्तुत करनी चाहिए।
  8. – इमानदारी और खुलापन सर्वाधिक निर्णय खुले और ईमानदार तरीके के लिए जाने चाहिए यह मानक संक्रामक हैं तथा पूरी व्यवस्था के साथ-साथ पूरे समाज  मैं फैलाने चाहिए।
  9. – निष्पक्षता सरकारी कर्मचारियों से सर्वप्रथम निष्पक्षता तथा सरकारी कामकाज में सक्रियता की आशा की जाती है भ्रष्टाचार और पक्षपात से बचने के लिए सरकारी कर्मचारी का समग्र रूप से निष्पक्ष होना आवश्यक है उन्हें कानूनों वीनियमों और नियमों में निर्धारित कार्यक्रम तथा नीतियां अति सावधानी के साथ कार्यान्वित करना चाहिए।
  10. – राजनीतिक तटस्थता राजनीतिक तथा प्रजातांत्रिक ढांचे में प्रशासन की दक्षता और इमानदारी के लिए सरकारी सेवा का एक आवश्यक अंग है इसका अर्थ है कि सरकारी कर्मचारियों को सोच विचार के निष्पक्ष ढंग से स्वतंत्र और स्पष्ट प्रमाण देते रहना चाहिए। UPSC Mains General Studies Paper 4 notes in hindi

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