Best ethics notes for upsc

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General studies paper – 4 notes 
Part – 6

Topic – महान विचारकों दार्शनिकों केअवतरण, नैतिक मूल्यों से तात्पर्य , मानवीय मूल्य सर्वव्यापक और शाश्वत संबंध


-महान विचारकों दार्शनिकों केअवतरण नीचे दिए गए हैं आपके लिए प्रत्येक अवतरण का वर्तमान संदर्भ में क्या महत्व है स्पष्ट कीजिए ?

-पृथ्वी पर हर एक की आवश्यकता पूर्ति के लिए काफी है पर किसी के लालच के लिए कुछ नहीं महात्मा गांधी महात्मा गांधी का यह कथन मानवीय व्यक्तित्व की दो विशेषताओं उपयोग और उपभोग की प्रवृत्ति की ओर संकेत करता है गांधीजी का मानना है कि पृथ्वी पर प्रत्येक जीव की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त संसाधन है किंतु किसी के लालच को पूरा किया जा सके ऐसा संभव नहीं है क्योंकि जब किसी के मन में लालच का भाव आ जाता है तो सामान्य आवश्यकताओं की पूर्ति मात्र से वह संतुष्ट नहीं होता बल्कि वह संसाधनों के उपयोग की ओर प्रवृत्त होता है जिससे और अधिक लालच का भाव उसके मन में बढ़ता जाता है व्यक्ति के अंदर लालच की प्रवृत्ति उसे अनैतिक जीवन की ओर प्रेरित करेगी जिस कारण व्यक्ति भ्रष्टाचार  में डूबता चला जाता है दूसरी ओर इस उद्धरण का आशय यह भी है कि यदि पृथ्वी पर उपलब्ध संसाधनों का उपयोग केवल व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाए तो सभी आवश्यकता पूरी  की जा सकती है कोई भी अभावग्रस्त नहीं रहेगा वर्तमान संदर्भ में महात्मा गांधी के इस उद्धरण का अत्यधिक महत्व है क्योंकि आज एक और से मानव अपनी कृत्रिम शक्ति और सामर्थ्य बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक संग्रह करने के लालच में फंसा है तो दूसरी ओर केवल स्वार्थ और निजी हित की चिंता में प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन कर रहा है इससे ना केवल समाज का एक बड़ा वर्ग अभावग्रस्त है अपितु हमारे प्राकृतिक पर्यावरण और मानव जाति का भविष्य अंधकार में हो रहा है इसी लालच के कारण ही लोक सेवाओं में भ्रष्टाचार का प्रभाव बढ़ रहा है इसलिए महात्मा गांधी का यह उद्धरण की पृथ्वी पर हर एक की आवश्यकता पूर्ति के लिए काफी है पर किसी के लालच के लिए कुछ नहीं वर्तमान परिस्थितियों में समाज को सही राह दिखाने के लिए अति प्रासंगिक है । Best ethics notes for upsc

-शत्रु पर विजय पाने वाले की अपेक्षा में अपनी इच्छाओं का दमन करने वाले को अधिक साहसी मानता हूं अरस्तु अरस्तु अपने इस कथन से व्यक्ति के बाह्य और आंतरिक संघर्ष के बारे में संकेत करते हैं हमारे बहाय शत्रु हमें दिखाई देते हैं उनके द्वारा हमें दी जाने वाली परेशानियों को हम अनुभव करते हैं तथा उनके कृत्यों को समझ और जानकर उनके प्रति उत्तर दे सकते हैं अपने बाहरी शत्रु की प्रति व्यक्ति सचेत भी रहता और योजना बनाकर उन पर विजय प्राप्त कर सकता है परंतु अपने आंतरिक शत्रुओं तथा बुरी आदतों लालच क्रोध अनैतिक इच्छाएं भय आदि को ना तो व्यक्ति प्रत्यक्ष देख सकता है ना ही उनसे होने वाले हानियों को तत्काल समझ सकता है इसलिए इन आंतरिक शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना अधिक मुश्किल है आंतरिक शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना कठिन अवश्य है किंतु असंभव नहीं अपने आध्यात्मिक और चारित्रिक बल से व्यक्ति इन इच्छाओं को दूर कर सकता है वैदिक दर्शन उपनिषद बौद्ध और जैन धर्म सहित दुनिया के सभी धर्म मनुष्य को सच्चे सुख की प्राप्ति के लिए के शमन का उपदेश देते हैं यदि यह सरल नहीं है तथापि अभ्यास और आध्यात्मिक चिंतन व्यक्ति को इच्छाओं की समाप्ति हेतु सक्षम बनाता है ऐसे ही व्यक्ति को आत्माज्ञ और जितेंद्रीय कहा जाता है निश्चित कि ऐसा शक्ति बाहरी शत्रुओं को जीतने वाले से अधिक वीर है वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मनुष्य भौतिक चकाचौंध में अनेक इच्छाओं के वश में होता जा रहा है यही इच्छाएं व्यक्ति को अनैतिक और भ्रष्ट आचरण के लिए प्रेरित करती है ऐसे वातावरण में अरस्तु का यह कथन की शत्रु पर विजय पाने वाले की अपेक्षा में अपनी इच्छाओं का दमन करने वाले को अधिक साहसी मानता हूं की प्रासंगिकता में और भी बढ़ जाती है । Best ethics notes for upsc

-आप किसी मरुस्थली जिले के कलेक्टर हैं यदि आपकी जिले में बेमौसम जबरदस्त बाढ़ हो जाए उस स्थिति में आप कौन-कौन से उचित कदम उठाएंगे ?

-प्राथमिकता अनुसार और स्वयं विवेक से इस प्रकार के उत्तरों को प्रस्तुत करना है जिले का जायजा लेंगे प्राथमिकता अनुसार अपनी क्रियाओं को क्रियान्वित करेंगे जैसे रोटी कपड़ा शरण स्थल बनाएंगे उपयुक्त हेतु परिस्थिति अनुसार व्यवस्था करेंगे जैसे यातायात शासन संबंधी समान हवाई यातायात को प्राथमिकता देकर सभी महत्वपूर्ण कार्य को करना स्वास्थ्य सेवाओं को सक्रिय करना सूचना और दूरसंचार तंत्र स्थापित करना सरकार से त्वरित रूप से जल विकास संबंधी समस्या के समाधान हेतु मदद मांगेंगे निष्कर्ष आशावादी । Best ethics notes for upsc

व्यक्ति अपने कर्मों की ही परिणीति होती है यह युक्ति सत्य है इसके समर्थन में कई विद्वानों में भी जैसे अब्दुल कलाम गांधीजी आइंस्टाइन बर्न इत्यादि ने कहा है कि वह जो भी हैं स्वयं की सोच और कर्मों की वजह से ही है अर्थात वे उनके द्वारा किए गए कर्मों का ही परिणाम है कई क्षेत्रों पर गौर किया जाए तो उपरोक्त कथन को सिद्ध करने के लिए कई और भी शख्सियत उभर कर आ जाएंगे जो अपने द्वारा किए गए कार्यों से निर्धारित हुई है जैसे शिक्षा के क्षेत्र में प्रोफेसर यशपाल अन्नादुरई सोलोमन विज्ञान के क्षेत्र में सीवी रमन डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा संगीत के क्षेत्र में तानसेन लता मंगेशकर नृत्य के क्षेत्र में बिरजू महाराज सोनल मानसिंह हेमा मालिनी अभिनय के क्षेत्र में दिलीप कुमार अमिताभ बच्चन खेल में मेजर ध्यान चंद्र पीटी उषा सचिन तेंदुलकर चित्रकला में हुसैन चंद्र प्रकाश गुप्ता चिकित्सा के क्षेत्र में गोपाल अशोक पनगढ़िया लोक कला में नृत्यांगना मांड गायिका गवरी देवी उक्त व्यक्तियों के कर्म ने ही उन्हें निर्धारित किया है इसलिए यह कहना तर्कसंगत है कि जितना हम अपने कर्मों को निर्धारित करते हैं उतना ही हमारे कर्म निर्धारित करते हैं । Best ethics notes for upsc



-नैतिक मूल्यों से तात्पर्य है जीवन में उचित और अनुचित का निर्धारण करने वाले मूल्य ये मूल्य इमानदारी दया करुणा संवेदना इत्यादि हो सकते हैं व्यक्ति के विभिन्न क्षेत्र जैसे राजनीतिक प्रशासनिक शिक्षा व सामाजिक क्षेत्र इन सभी में जब उचित अनुचित का भेद समझकर अपने जीवन के पथ पर नैतिक मूल्यों के साथ आगे बढ़ेगा तभी उसे सफलता मिलने के साथ नेक शख्सियत का दर्जा मिलेगा शासन और प्रशासन में नैतिक मूल्य मुख्य रूप से यह होते हैं तटस्थता ईमानदारी परानुभूति समानुभूति संवेगात्मकता आदि यदि यह तत्व कोई भी प्रशासक अपने प्रशासनिक कार्यकाल में लोकसेवा हेतु अपनाएं तो शासन में बेहतरीन हो सकेगा लोकसेवा को प्रशासन में आने से पूर्व और सेवा के दौरान इन मूल्यों का महत्व समझाने हेतु निम्न व्यवस्था कारगर सिद्ध हो सकती हैं प्रशिक्षण के दौरान नैतिक मूल्यों का महत्व समझाना पदोन्नति प्रक्रिया में नैतिक मूल्यों को आधार बनाया जाए कानून नियम और संविधान के मूल कर्तव्य और नीति निर्देशक तत्वों की शिक्षा दी जानी चाहिए अपनी आदर्श छवि को दूसरों हेतु प्रस्तुत करने की शिक्षा दी जानी चाहिए उपरोक्त व्यवस्थाएं हैं जिनके माध्यम से नैतिक मूल्यों का सशक्तिकरण हो सकता है इन्हीं के माध्यम से लोक सेवक जनता से नैतिकता पूर्वक संबंध स्थापित करते हुए शासन और प्रशासन में प्रतिमान स्थापित कर सकता है। Best ethics notes for upsc

– कुछ लोगों का मानना है कि मूल्य समय और परिस्थिति के साथ बदलते रहते हैं जबकि अन्य दृढ़ता से मानते हैं कि कुछ मानवीय मूल्य सर्वव्यापक और शाश्वत है इस संबंध में आप अपनी धारणा देकर बताये।

– हमारे जीवन के महत्वपूर्ण और वांछनीय तत्व है मूल्य जीवन के प्रत्येक कदम पर फैसला लेने में हमारी सहायता करते हैं हम उच्च मूल्यों के आधार पर अच्छा तथा निम्न मूल्यों के आधार पर गलत कदम उठाते हैं जीवन में कुछ मूल्य वस्तुनिष्ठ होते हैं अर्थात उनका महत्व सभी के लिए समान होता है वहीं दूसरी और कुछ मूल्य आत्मनिष्ठ होते हैं और वे विभिन्न व्यक्तियों के अनुभव पर आधारित होते हैं जैसे जैसे व्यक्ति के जीवन में उसके द्वारा अर्जित अनुभवों में परिवर्तन आता है वैसे उसके मूल्य परिवर्तित होते हैं इस तरह के मूल्यों के उदाहरण के रूप में राष्ट्रीयता और समलैंगिकों के समान अधिकार का नाम लिया जा सकता है किसी व्यक्ति का दृष्टिकोण उसके अच्छे या बुरे समय के अनुसार परिवर्तित होता है समाज स्वयं ही अपने मूल्यों को समय-समय पर बदलता रहता है विशेष रूप से उनका प्रभाव समाज के एक बड़े वर्ग पर पड़ता है दूसरी और कुछ मूल्य सर्वव्यापी होते हैं अर्थात वह किसी अन्य पर आधारित न होकर स्वमेव सत्य होते हैं उदाहरण के रूप में हत्या चोरी आदि का बुरा कर्म होना तथा सत्यवादी दयालु आदि का अच्छा कर्म माना जाना किसी भी दशा में गलत नहीं ठहराया जा सकता। Best ethics notes for upsc;-

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