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General studies paper – 4 notes
Part – 15
Topic – प्लेटो का आदर्श राज्य, तीन तत्व आदर्श राज्य के मौलिक सिद्धांत,आदर्श राज्य की आलोचना
– प्लेटो का आदर्श राज्य
-प्लेटो के समय यूनानी समाज में अराजकता व्याप्त थी उसने उपस्थित बुराइयों तथा अराजक स्थिति का उपचार करने के लिए एक ही आदर्श राज्य की कल्पना की इस तरह उसने तत्कालीन यूनानी समाज को सही मार्ग दिखाने का प्रयत्न किया उसने बताया कि शासन का अधिकार ऐसे ज्ञानी दार्शनिकों को भी होना चाहिए जो निस्वार्थ होकर शासन कर सकें इस प्रकार व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले सारे कार्य आत्मा से प्रेरणा ग्रहण करते हैं उसी प्रकार राज्य के सभी कार्यों की उत्पत्ति उन्हें बनाने वाले मनुष्यों की आत्माओं से होती है प्लेटो के शब्दों में राज्य ओक वृक्ष या चट्टान से नहीं अपितु उस में निवास करने वाले व्यक्तियों के चरित्र से बनता है ।
-प्लेटो के अनुसार आत्मा में 3 गुण या तत्व है
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- -काम अथवा क्षुब्धा जिसमें हमें राग द्वेष भूख प्यास नाना प्रकार की इच्छाएं वासनाए उत्पन्न होती है ।
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- -विवेक मनुष्य को ज्ञान प्राप्त करने में तथा प्रेम कराने में सहायक होता है ।
- -उत्साह आज शौर्य यह मनुष्य में लड़ने की भावना महत्वकांक्षी साहस और स्पर्धा के भाव को उत्पन्न करता है।
-आदर्श राज्य का निर्माण करने वाले तीन तत्व
-आर्थिक तत्व
इसका अभिप्राय यह है कि मनुष्य काम तत्वों से संबंध रखने वाले भोजन वस्त्र आवास आदि की आवश्यकताएं एकांकी रूप से पूरी नहीं कर सकता यह अनेक व्यक्तियों के सहयोग से तभी पूर्ण हो सकती है जब उन्हें पूरा करने के लिए समाज में अन्न उत्पन्न करने वाले किसानों मकान बनाने वाले स्त्रियों कपड़ा बुनने वाले जुलाहा आदि की विशेष आर्थिक श्रेणियां बन जाए समाज के लिए इस प्रकार का श्रम विभाजन बड़ा महत्वपूर्ण है समाज के विभिन्न भागों में कार्यों का बंटवारा हो जाने से प्रत्येक व्यक्ति एक विशेष कार्य को करता है यही विशेष कार्य का सिद्धांत कहलाता है । What is the ideal state of plato
-सैनिक तत्व
आत्मा के गुणों में उत्साह या शौर्य के साथ साम्य रखता है मनुष्य केवल भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति से संतोष नहीं होता इसमें अपने को सुसंस्कृत और परिमार्जित बनाने की कुछ आकांक्षाएं होती है उन्हें पूरा करने के लिए अधिक जनसंख्या और प्रदेश की आवश्यकता होती है यह प्रदेश युद्ध द्वारा प्राप्त हो सकता है इसलिए राज्य को प्रणाली को उपलब्ध कराना तथा उसे अपने अधिकार में बनाए रखना होता है राज्य की रक्षा के लिए वीर सैनिकों की आवश्यकता होती है विशेषकरण के नियम के अनुसार इस कार्य को करने वाले योद्धाओं का एक विशेष वर्ग होना चाहिए। What is the ideal state of plato
– दार्शनिक तत्व
इसका सम्बन्ध आत्मा के विवेक से है प्लेटो के अनुसार सैनिक राज्य का रक्षक होता है संरक्षक ज्ञान और विवेक द्वारा शत्रु और मित्र भेद करके उनके साथ यथा योग्य व्यवहार करता है इसलिए राज्य के रक्षक में विभिन्न होना चाहिए सैनिक में यह गुण पाया जाता है ।
-आदर्श राज्य में वर्ग
कार्यरत श्रम विभाजन के आधार पर प्लेटो ने अपने आदर्श राज्य का विभाजन इन 3 वर्ग में लिया है
-संरक्षक वर्ग
यह वर्ग गुण का प्रतिनिधित्व करने वाला है इस वर्ग के लोगों का कार्य सहायक संरक्षक वर्ग तथा उत्पादक वर्ग के बीच संतुलन बनाए रखना है यह वर्ग बुद्धि प्रेमी होगा इस वर्ग के लोग जब दार्शनिक होंगे तब ही वे सामान्य कल्याण के कार्य पूर्ण कर पाएंगे । What is the ideal state of plato
-सहायक संरक्षक
वर्ग इस वर्ग का मुख्य कार्य उत्पादक वर्ग की सुरक्षा और राज्य की भूमि को सुरक्षित रखना है यह वर्ग उत्साह तत्वों की प्रतिनिधित्व करने वाला है उत्पादक वर्ग के लिए वृहत्तर प्रदेश की पूर्ति भी इसी वर्ग के द्वारा की जाएगी और इस हेतु यह वर्ग पड़ोसी राज्यों से युद्ध के लिए सदैव संलग्न रहेगा।
– उत्पादक वर्ग
यह वर्ग वासना तत्व की पूर्ति करने वाला है इसमें कृषक कारीगर शिल्पकार व्यापारियों आते हैं इसका मुख्य कार्य राज्य की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना है।
– आदर्श राज्य के मौलिक सिद्धांत
न्याय
न्याय –आदर्श राज्य का प्राण है जिसका कार्य उत्पादक सैनिक और शासक वर्गों में संतुलन रखकर उन्हें एकता के सूत्र में बांधे रखना है ताकि राज्य के सभी अंग अपने कर्तव्य का पालन करते रहे
राज्य व्यक्ति का विराट रूप है – व्यक्ति के सभी विशेषताएं राज्य में पाई जाती है ।
-विशेष कार्य का सिद्धांत –राज्य या समाज में श्रम विभाजन होना चाहिए ताकि प्रत्येक व्यक्ति अपनी विशेष कार्य दक्षता और योग्यता से पूरा कर सके ।
-शिक्षा न्याय ज्ञान की शिक्षा है श्रेष्ठ नागरिकों स्वस्थ सैनिकों और दार्शनिक शासकों के निर्माण के लिए उचित शिक्षा दी जाए।
– नागरिकों के 3 वर्गआत्मा के तीन तत्व क्षुब्धा उत्साह और विवेक के आधार पर राज्य के नागरिकों को उत्पादक सैनिक और संरक्षक नामक तीन वर्गों में बांटा है ।
-दार्शनिक राजा का शासन आदर्श राज्य में दार्शनिक राजा का शासन होगा जब तक राजा दार्शनिक राजा नहीं होंगे तब राज्य में शांति और सुशासन स्थापित नहीं हो सकता ।
-साम्यवादप्लेटो सैनिक और शासक वर्ग को परिवार और संपत्ति से दूर रहना चाहता है जिससे वे इसकी लोभ में आकर अपना कर्तव्य पालन ना भूल जाएं राज्य सहित प्रधान और सर्वोपरि है व्यक्ति उसका अंग मात्र है ।
-आदर्श राज्य की आलोचना
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- प्लेटो ने जिस आधार पर व्यक्ति और राज्य की तुलना की है उसे सामान्य व्यक्ति के लिए समझना कठिन है
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- आदर्श राज्य में सामूहिकता पर बल देते हुए व्यक्ति की उपेक्षा कर दी है
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- उत्पादक वर्ग की उपेक्षा करके समाज में समानता के बीज बो दिए हैं
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- तत्कालीन दास प्रथा पर प्लेटो मोन रहा है
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- साम्यवादी व्यवस्था मानव को आदिम अवस्था में ले जाएगी
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- शिक्षा को पूर्णता राज्य के नियंत्रण में रखने से व्यक्ति का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकेगा
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- आदर्श राज्य यथार्थ से परे है
- प्लेटो का आदर्श राज्य एक आध्यात्मिक निरंकुश वाद है
प्लेटो के आदर्श राज्य की बहुत आलोचना की गई है लेकिन उसमें जो चिरंतन और शाश्वत सत्य है उसे मानव नहीं भूल सकता प्लेटो की राजनीति में आंशिक रूप से कल्पना दोनों का समावेश है काल्पनिक पक्षता मर चुकी है लेकिन उसका आदर्श पक्ष शाश्वत है । What is the ideal state of plato
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